मझधार में खड़ी तेरी नाव को लिखूं या फिर अपनी ज़िंदगी के गुलज़ार को लिखूँ! मझधार में खड़ी तेरी नाव को लिखूं या फिर अपनी ज़िंदगी के गुलज़ार को लिखूँ!
क्या पता कब तुम्हें और एक, आशियाने की जरूरत पड़ जाए ? क्या पता कब तुम्हें और एक, आशियाने की जरूरत पड़ जाए ?
सुबह का भूला शाम लौट घर आता है, उसको कोई नही हराने पाता है l वाल्मीकि जो बड़ा लुटेर सुबह का भूला शाम लौट घर आता है, उसको कोई नही हराने पाता है l वाल्मीकि ...
तुम अनवरत बहते हो जीवन के हर पल में रहते हो असत्य के इस संसार में बस तुम ही तो सत्य कहते हो तुम अनवरत बहते हो जीवन के हर पल में रहते हो असत्य के इस संसार में बस तुम ही तो ...
गले लगाने से, शरीर में एक हार्मोन रिलीज होता, जिसका स्वास्थय को अधिक लाभ होता, मानसि गले लगाने से, शरीर में एक हार्मोन रिलीज होता, जिसका स्वास्थय को अधिक लाभ ह...
दिल की दीवारों को चीर कर निकलती आवाज़ को दिल की दीवारों को चीर कर निकलती आवाज़ को